6 साल पूर्व
वास्तु शास्त्र एवं फेंगशुई, दोनों के अनुसार किसी भी आवासीय अथवा व्यावसायिक भवन का केन्द्र स्थल अत्यन्त पवित्र माना गया है। वास्तु शास्त्र में घर के केन्द्र स्थल को ब्रहम स्थान की संज्ञा दी गई है एवं इसकी पवित्रता को नष्ट करने के परिणाम स्वरुप परिवार के सदस्यों को खराब स्वास्थ्य से दो चार होना पड़ता है। फेंगशुई की धारणा के अनुसार भी भवन अथवा किसी परिसर के केंद्र स्थल को स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ बताया है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के केंद्र भाग अर्थात ब्रहम स्थल में पाँचों तत्वों पृथ्वी, आकाश, अग्नि, वायु एवं जल की सम्मिलित शक्ति निहित होती है एवं इस स्थान पर किसी भी प्रकार का अनावश्यक निर्माण इन पांच तत्वों की एकीकृत ऊर्जा से प्राप्त होने वाले लाभों से वंचित कर देता है। फेंगशुई की धारणानुसार घर के केन्द्र में एक सर्प वास करता है एवं यह सर्प सम्पूर्ण घर को शक्ति प्रदान करता है। फेंगशुई अनुसार यदि केंद्र स्थल में किसी भी प्रकार का अनावश्यक निर्माण या कार्य होगा तो सर्प अपनी जीवनदायिनी शक्ति सहित घर से चला जाएगा, जिसके फलस्वरूप सम्बंधित घर के निवासियों के स्वास्थ्य में ह्रास होगा।
उक्त विवेचन से अंततः यही निष्कर्ष निकलता है कि वास्तु शास्त्र एवं फेंगशुई के तर्क वस्तुतः भिन्न भिन्न है परन्तु सन्देश एक सामान ही है की किसी भी भवन का केन्द्र स्थल हमारे स्वास्थ्य का आधार है।
वास्तु शास्त्र एवं फेंगशुई इस कथन पर भी एकमत है कि किसी भी भवन के केन्द्र में शौचालय, स्नानघर, रसोईघर, सैप्टिक टैंक आदि नहीं होने चाहिएँ अन्यथा घर के निवासियों को स्वास्थ्य सम्बंधित दोष उत्पन्न होने लगते हैं।
जहाँ तक किसी भी परिसर के केन्द्र स्थल से सम्बन्धित मान्यताओं का प्रश्न है, वास्तु और फेंगशुई में आश्चर्यजनक समानताएँ हैं।
वास्तु शास्त्र की धारणा अनुसार घर के मध्य भाग में खुला स्थान छोड़ने अथवा आँगन बनाने का औचित्य हवा एवं सूर्य का प्रकाश प्राप्त करने के साथ-साथ यह भी है कि घर के मध्य भाग मे कोई भारी निर्माण अथवा सामान न हो। फेंगशुई की भी यही धारणा है कि घर के एकदम केन्द्र में सीढि़याँ का निर्माण करने से अथवा भारी वस्तु अथवा सामान रखने से स्वास्थ्य सम्बन्धी विकार उत्पन्न होते हैं।
भारत वर्ष में वास्तु शास्त्र की धारणा अनुसार घर के आँगन के बीचों-बीच तुलसी का पौधा लगाने की प्राचीनकाल से चली आ रही परम्परा फेंगशुई की घर के बीचों-बीच कोई स्वस्थ हरा पौधा लगाना की धारणा से आश्चर्यजनक रूप से समानता रखती है।
वास्तु शास्त्र की धारणा अनुसार किसी भवन के केंद्र स्थल में पंच तत्वों की सम्मिलित शक्ति निहित बताई है। वहीं फेंगशुई की धारणा में भी भवन के केन्द्र को चारों दिशाओं से आने वाली लाभकारी शक्तियों का मिलन स्थल माना है व भवन के केन्द्र स्थल की प्रतीक संख्या भी पाँच ही मानी है।
परिवार के सदस्यों के उत्तम स्वास्थ्य एवं शान्ति हेतु घर का मध्य भाग अथवा केन्द्र स्थल को वास्तु शास्त्र एवं फेंगशुई दोनों की ही धारणा अनुसार, खाली एवं स्वच्छ रखना आवश्यक बताया गया है।
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