ज्योतिषशास्त्र : वास्तुशास्त्र एवं फेंगशुई

ढलान व मिट्टी के आधार पर भूखण्ड का वास्तु सम्मत चयन

Sandeep Pulasttya

5 साल पूर्व

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भूखण्ड का ढलान के अनुसार चयन :

वास्तुशास्त्र में भूखण्ड के ढलान के अनुसार उसके उपयोगी अथवा अनुपयोगी एवं शुभ व अशुभ होने के नियम बताये गए हैं। वास्तुशास्त्र अनुसार जिस भूखण्ड का दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में ढलान ऊँचा तथा उत्तर एवं पूर्व दिशा में ढलान नीचा होता है तो ऐसे ढलान वाला भूखण्ड अनेकों  प्रकार से सुख प्रदाता होता है। यदि किसी भूखण्ड का ढलान उत्तर दिशा, पूर्व दिशा एवं उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होता है तो ऐसा भूखण्ड स्वास्थ्य एवं समृद्धि की प्राप्ति में सहायक सिद्ध होता है। किन्तु यदि किसी भूखण्ड का ढलान, उत्तर-पश्चिम दिशा, पश्चिम दिशा, दक्षिण-पश्चिम दिशा एवं दक्षिण दिशा की ओर होता है तो ऐसा भूखंड ढलान धन, सन्तान एवं स्वास्थ्य के ह्रास का कारक होता है। वास्तुशास्त्र अनुसार सर्व सुखकारक भूखण्ड वह होता है, जो केन्द्र में उठा हुआ एवं चारों तरफ ढलान वाला होता है। किन्तु ऐसा भूखण्ड, जिसमें ढलान केन्द्र की ओर हो अर्थात ऐसा भूखंड जो केंद्र में दबा हुआ एवं चारों ओर से उठा हो अहितकारी व विपत्तिकारक होता है।

 

भूखण्ड का मिट्टी के अनुसार चयन :

वास्तुशास्त्र अनुसार किसी भूखंड को खरीदने से पूर्व उसकी मिट्टी की जांच आवश्यक रूप से करनी चाहिए। साफ़ एवं उपजाऊ मिट्टी वाला भूखण्ड हितकारी होता है। भूखंड की खुदाई करने पर यदि उसमें से हड्डी, खोपड़ी, कोयले, दीमक जैसी आपत्तिजनक वस्तुएँ निकलती हैं तो ऐसा भूखण्ड सर्वथा त्याज्य एवं अहितकारी परिणाम देने वाला होता है। अतः श्मशान भूमि एवं कब्रिस्तान की भूमि पर कभी भी आवास अथवा कार्यालय का निर्माण निषेध है। किन्तु जिस भूखण्ड की खुदाई करने से उसकी मिट्टी में से ईंट पत्थर निकलते हैं तो ऐसा भूखण्ड समृद्धिदायक होता है। यदि भूखण्ड आपत्तिजनक वस्तुओं से युक्त हो एवं वह भूखण्ड किसी मजबूरीवश लेना ही पडे तो ऐसे भूखण्ड की मिट्टी को चार-पाँच फुट खोदकर निकाल दें व तत्पश्चात उसकी भराई किसी उपजाऊ खेत अथवा अन्य किसी साफ़ स्थान से लाकर कर दें।

भूखण्ड की मिट्टी की परख की एक अन्य सरल विधि अनेकों वास्तुशास्त्रियों ने वर्णित की है। इस परख हेतु सर्वप्रथम भूखण्ड के केंद्र में एक छोटा घनाकार गड्ढा खोदें व उसकी मिट्टी बाहर निकाल लें। अब इसी मिट्टी से उस गड्ढे को दोबारा भरें। इस प्रकार दोबारा गड्ढा भरने पर यदि मिट्टी कम पड़ जाती है तो उस भूखण्ड पर निवास करने वाला व्यक्ति सर्वदा अभावग्रस्त रहेगा एवं यदि गड्ढा इस मिट्टी से पूरा भर जाता है एवं मिट्टी न तो बचती है एवं न ही कम पड़ती है, तो इस भूखण्ड पर रहने वाला व्यक्ति मध्यम स्तर का जीवन ही जी सकेगा। किन्तु यदि गड्ढा इस मिट्टी से पूरा भर जाता है एवं थोड़ी मिट्टी शेष भी रह जाती है तो ऐसे भूखण्ड पर निवास करने वाला व्यक्ति समृद्धि की भरपूर प्राप्ति करेगा।

 

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