ज्योतिषशास्त्र : वास्तुशास्त्र एवं फेंगशुई

शेरमुखी एवं गेामुखी भूखण्ड की बनावट एवं उपयोगिता

Sandeep Pulasttya

8 साल पूर्व

shermukhi-gaumukhi-bhukhand-pilots-lands-shape-designing-Astrology-Vastushastra-JyotishShastra-hd-image

 

कुछ भूखण्ड ऐसे होते हैं, जो किसी विशेष प्रयोजन हेतु ही उपयुक्त होते हैं। शेरमुखी भूखण्ड एवं गोमुखी भूखण्ड ऐसे ही भूखण्ड हैं।

 

शेरमुखी भूखण्ड :

इस प्रकार के भूखण्ड का आगे का भाग अधिक चौड़ा एवं पीछे का भाग अपेक्षाकृत कम चौड़ा  होता है। शेरमुखी भूखण्ड आवासीय प्रयोजन हेतु अनुपयुक्त होता है क्योंकि ऐसे भूखण्ड पर निवास करने वाले व्यक्ति मानसिक क्लेश, धन हानि एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी विकारों से ग्रस्त हो जाते हैं। शेरमुखी भूखण्ड केवल व्यापारिक प्रयोजन हेतु उपयुक्त होता है।

 

गेामुखी भूखण्ड :

इस प्रकार के भूखण्ड का पीछे का भाग अधिक चौड़ा एवं आगे का भाग अपेक्षाकृत कम चौड़ा होता है। ऐसा भूखण्ड व्यावसायिक प्रयोजन हेतु सर्वथा अनुपयुक्त होता है। ऐसा भूखण्ड आवासीय प्रयोजन हेतु तभी उपयुक्त हो सकता है, जब इसकी दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में मार्ग स्थित हों। किन्तु कुछ वास्तु शास्त्रियों ने गोमुखी भूखण्ड को सर्वथा त्याज्य बताया है क्यूंकि उनके अनुसार ऐसा भूखंड मानसिक असन्तुलन का कारण बनता है।

गोमुखी भूखण्ड के अतिरिक्त, ऐसे भूखण्ड भी वास्तु सम्मत नहीं होते, जिनका कोई कोना कटा हुआ हों अथवा कोई कोना बढ़ा हुआ हो। इसमें, केवल उत्तर-पूर्व दिशा की ओर बढ़ा हुआ भूखण्ड ही लाभदायक है, अन्य दिशाओं में बढ़े हुए भूखण्ड कष्ट ही देते हैं।

 

नोट : अपने जीवन से सम्बंधित जटिल एवं अनसुलझी समस्याओं का सटीक समाधान अथवा परामर्श ज्योतिषशास्त्र के  हॉरोस्कोप फॉर्म के माध्यम से अपनी समस्या भेजकर अब आप घर बैठे ही ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं | अधिक जानकारी आप ज्योतिषशास्त्र के  FAQ's पेज से प्राप्त कर सकते हैं |

 

© The content in this article consists copyright, please don't try to copy & paste it.

सम्बंधित शास्त्र
हिट स्पॉट
राइजिंग स्पॉट
हॉट स्पॉट