ज्योतिषशास्त्र : वास्तुशास्त्र एवं फेंगशुई

घर के मुखिया, बच्चों, अतिथि एवं विवाह योग्य कन्या हेतु वास्तुअनुकूल शयन कक्ष निर्माण नियम

Sandeep Pulasttya

6 साल पूर्व

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वास्तु शास्त्र में घर के मुखिया, बच्चों, मेहमानों एवं विवाह योग्य कन्या का शयन कक्ष बनाने हेतु विभिन्न परामर्श व नियम दिए गए हैं। उनमें से कुछ प्रमुख अंशों की विवेचना निम्नवत की जा रही है -

वास्तु शास्त्र की मान्यताओं अनुसार घर में शयन कक्ष दक्षिण-पश्चिम दिशा, दक्षिण दिशा अथवा पश्चिम दिशा में बनाया जाना शुभ रहता है।

घर के मुखिया का शयन कक्ष अर्थात घर का मास्टर बैड रूम, दक्षिण-पश्चिमी भाग में बनाया जाना शुभ रहता है। किन्तु यदि इस दिशा में संभव न हो सके तो मास्टर बैड रुम हेतु दूसरी सर्वोत्तम वास्तु सम्मत दिशा दक्षिण बताई गई है।

बच्चों का शयन कक्ष घर की पश्चिमी दिशा में बनाना वास्तु सम्मत रहता है।

घर के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में, केवल अतिथियों के रुकने हेतु शयन कक्ष अर्थात गेस्ट रूम, बनाया जा सकता है।

किन्तु विवाह योग्य कन्या को वायव्य कोण अर्थात उत्तर-पश्चिम दिशा का बैडरूम देने से उसका विवाह शीघ्र होता है।

घर के किसी भी सदस्य के लिए बैडरूम घर के दक्षिण पूर्वी भाग में कभी नहीं बनाना चाहिए। दक्षिण पूर्व आग्नेय कोण है, जहाँ अग्निदेव का वास है। यह स्थान केवल रसोईघर के लिए उपयुक्त है। इस दिशा में यदि शयन कक्ष है तो उसमें सोने वाले व्यक्ति कलह, क्रोध एवं विवाद में लिप्त रहेंगे।

 

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