ज्योतिषशास्त्र : वास्तुशास्त्र एवं फेंगशुई

स्नानघर निर्माण हेतु वास्तु शास्त्र उपाय एवं टिप्स

Sandeep Pulasttya

8 साल पूर्व

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उत्तम स्नानघर हेतु वास्तु शास्त्र के अनुसार विभिन्न धारणाएं बतायी गई हैं। यहां कुछ सरल व उपयोगी धारणाएं प्रस्तुत की जा रही हैं जिनका अनुसरण कर विभिन्न प्रकार से लाभान्वित हुआ जा सकता है :-

 

♦   वास्तु शास्त्र के अनुसार स्नानघर हेतु सर्वोत्तम दिशा पूर्व बतायी गई है।

♦   यदि किसी कारण से स्नानघर पूर्व दिशा में न बनाया जा सकता हो तो इसे नैर्ऋत्य कोण अर्थात दक्षिण-पश्चिम दिशा में भी बनाया जा सकता है।

♦   घर के ईशान कोण अर्थात उत्तर-पूर्व दिशा में स्नानघर बनाना वर्जित है। ईशान में बना स्नानघर परिवार के पुरुष वर्ग को कष्ट देता है।

♦   वास्तु शास्त्र के अनुसार स्नानघर सीढि़यों के नीचे, मेनगेट के पास या रसोईघर के बिल्कुल बराबर में नही होना चाहिए।

♦   रसोईघर के एकदम पास बना हुआ स्नानघर रसोईघर की पवित्रता को भंग कर देता है।

♦   स्नानघर शयनकक्ष के सामने नही होना चाहिए।

♦   स्नानघर में पूर्व दिशा में खिड़की या रोशनदान होना चाहिए।

♦   स्नान करने वाले व्यक्ति का मुँह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

♦   स्नानघर के फर्श का ढलान ईशान कोण, उत्तर दिशा अथवा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

♦   स्नानघर और शौचालय अलग-अलग हों, तो उत्तम रहता है।

♦   स्नानघर में पीली रोशनी वाला बल्ब लगाना लाभदायक रहता है।

♦   स्नानघर की दीवारों पर पीला या गुलाबी रंग रोगन कराना लाभदायक रहता है।

 

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