5 साल पूर्व
भारतीय संकृति में अनेक पर्व व त्योहार मनाये जाते हैं. इनमें कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का पर्व विषेश रूप से मनाया जाता है | यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है | इस दिन भगवानश्री राम चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे | दीपावली के सम्बंध में सर्वाधिक प्रचलित मान्यता यह है कि इस दिन समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी का प्रादुर्भाव हुआ था और उन्होंने भगवान विश्णु का वरण किया था दीपावली की रात्रि में मां लक्ष्मी विचरण करती हैं तथा घर-घर जाकर भक्तों को आशीर्वाद देती हैं |
दीपावली पूजन का मुहुर्त :-
दीपावली का पूजन स्थिर लग्न में किया जाता है | घर में यह पूजन सांय को प्रदोष काल में वृषभ लग्न में किया जाता है | व्यवसायिक स्थल में पूजन कुम्भ लग्न में किया जाना चाहिये जो व्यक्ति तांत्रिक साधना करते हैं, उनके लिये कालरात्रि में सिंह लग्न को उपयुक्त माना गया है |
व्यवसायिक स्थल मेंं पूजन का समय :-
कुम्भ लग्न प्रारम्भ 14 :13 समाप्त 15:41
घर में पूजन का समय :-
वृषभ लग्न प्रारम्भ 18:41 समाप्त 20:36
साधना व सिद्धी का समय :-
सिंह लग्न प्रारम्भ 01:15 समाप्त 03:33
पूजन विधि :-
दीपावली के दिन शुभ मुहुर्त में पूजा स्थल पर चौकी रखकर उस पर लाल कपड़ा बिछाएं | उस पर लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें | गणपति के दाहिनी ओर भगवती की मूर्ति रखें | श्री यंत्र, कौड़ी, गोमती चक्र आदि रखें | पूजन के लिए उत्तर या पूर्व की ओर मुख करके बैठें |
पवित्रीकरण
हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए जल को सिर तथा शरीर पर छिड़क लें | पवित्रता की भावना रखें-
ऊॅ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपि वा
यः स्मरेत पुंडरीकाक्षं स बाहयाभ्यन्तर शुचिः
संकल्प
हाथ में जल व चावल लेकर निम्न संकल्प करें
मैंं ........................ पुत्र श्री ....................., .......... गोत्र उत्पन्न आज कार्तिक मास अमावस्या तिथि संवत 2076 दिन रविवार को निज स्थान ............. पर रहकर, परिवार सहित महालक्ष्मी देवी को प्रसन्न करने के लिये तथा धनधान्य, ऐश्वर्य, कीर्ति, वैभव, सम्पत्ति, सम्पदा, प्रतिष्ठा तथा सम्मान प्राप्त करने के लिए श्री गणेश सहित माँ लक्ष्मी का पूजन करने का संकल्प लेता हूँँ |
इसके पश्चात जल व चावल जमीन पर छोड़ दें |
गणेश जी का पूजन
गणेश का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र बोलें-
ऊँ गजाननं भूत गणादि सेवतं कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणं
उमा सुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजं
कलश स्थापना
लोटे में जल लेकर चौकी पर स्थापित करें | जल में साबुत सुपारी, साबुत हल्दी तथा एक सिक्का डाल दें | लोटे पर कलावा बांधें तथा रोली से स्वास्तिक बनाएं | हाथ जोड़ कर वरुण देवता का ध्यान करें |
ध्यान
दाहिने हाथ में पुष्प लेकर भगवती लक्ष्मी का ध्यान करें मंत्र पढ़ते हुए पुष्प को लक्ष्मी जी की मूर्ति पर चढ़ा दें
ऊँ हिरण्यवर्णां सुवर्ण रजत स्रजाम
चन्द्रां हिरण्यमयीं लक्ष्मी जातवेदो म आ वह
आवाह्न के लिये पुष्प अर्पित करें |
आसन
ऊँ महालक्ष्मै नमः आसन समर्पर्ययामि
आसन के लिये पुष्प अर्पित करें |
आचमन व स्नान
इसके पश्चात आचमन व स्नान के लिए जल अर्पित करें
आचमनीयं जलं समर्पयामि
आचमन के लिए जल समर्पित करें
स्नानं जलं समर्पर्ययामि
आचमन के पश्चात स्नान के लिए जल समर्पित करें
चरणामृत
स्नान के पश्चात दूध, दही, शहद और शक्कर से चरणामृत तैयार करें तथा चरणाम्रत से स्नान कराएं तत्पश्चात शुद्ध जल से स्नान कराएं
वस्त्र आभूषण
माँ लक्ष्मी को वस्त्र अर्पित करें | यदि सम्भव हो तो आभूषण भी अर्पित करें | रोली या चंदन का टीका लगाएं | धूप, दीप व अगरबत्ती जलाएं |
भोग
लक्ष्मी जी को मिठाई अथवा घर की बनी खीर व खीलबताशे का भोग लगाएं
आरती
माँ लक्ष्मी जी की आरती करें | कम से कम पॉच दीपक जला कर घर के मुख्य स्थानों पर रखें |
|| लक्ष्मी माता जी आरती ||
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता |
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
उमा ,रमा,ब्रम्हाणी, तुम हीजग माता |
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
.ॐ जय लक्ष्मी माता....
दुर्गारुप निरंजन, सुख संपत्ति दाता |
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
तुम पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता |
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
जिस घर में तुम रहती, सबसद् गुण आता|
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
तुम बिन यज्ञ ना होवे, वस्त्र न कोई पाता |
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरोदधि जाता|
रत्न चतुर्दश तुम बिन ,कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
महालक्ष्मी जी की आरती ,जो कोई नर गाता |
उर आंनद समाता,पाप उतर जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता....
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता |
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
नोट : अपने जीवन से सम्बंधित जटिल एवं अनसुलझी समस्याओं का सटीक समाधान अथवा परामर्श ज्योतिषशास्त्र हॉरोस्कोप फॉर्म के माध्यम से अपनी समस्या भेजकर अब आप घर बैठे ही ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं |
© The content in this article consists copyright, please don't try to copy & paste it.