7 साल पूर्व
जन्म कुण्डली का पहला खाना सम्पूर्ण कुण्डली का सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाग होता है। ज्योतिष भाषा में इस खाने को प्रथम भाव अथवा लग्न भाव भी कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य किसी भी जातक की जन्म कुण्डली में लग्न एवं लग्नाधिपति अर्थात लग्नेश की स्थिति को देख कर ही सम्बंधित जातक के रंग, रूप, शारीरिक गठन, आचरण, स्वभाव एवं स्वास्थ्य आदि के सम्बन्ध में विवेचना कर देते हैं। कुछ अनुभवी एवं ज्ञानी ज्योतिषाचार्य तो किसी भी जातक की आभा, मुखमण्डल, आदतें एवं व्यवहार को देखकर ही सम्बंधित जातक के जन्म लग्न का एकदम सटीक पता लगा लेते हैं।
किसी जातक की जन्म कुण्डली का फलादेश बहुत कुछ उस जातक की कुण्डली के लग्न भाव की राशि, लग्नेश एवं उसकी स्थिति, लग्न भाव में स्थित ग्रह, लग्न भाव पर दृष्टि डालने वाले ग्रह, ग्रहों की युति तथा लग्न भाव की दृष्टि आदि से प्रभावित होता हैं। लोक प्रकृति, भौगोलिक एवं सामाजिक स्थितियाँ भी सम्बंधित जातक के कुण्डली फलादेश को प्रभावित करती हैं। यहां हम मीन लग्न में जन्मे जातक का फलादेश प्रस्तुत कर रहे हैं-
मीन लग्न :
मीन लग्न में जन्म लेने वाले जातक प्रायः लेखन सम्बंधित कार्यों में रुचि रखते है। संगीत, नाटक एवं साहित्य की ओर ये विशेष रूप से आकर्षित रहते हैं। आर्थिक रूप से ऐसे जातक कुछ कमजोर होते हैं। धन का आगमन तो इनके पास होता है,किन्तु उसका संचय नहीं हो पाता। ये धन की फिजूलखर्ची नहीं करते।
मीन लग्न में जन्म लेने वाले जातक आत्म विश्वास से भरपूर होते हैं। चाहे जैसी भी स्थिति परिस्तिथि हो ये अपना लक्ष्य साध ही लेते हैं। ऐसे जातक न्याय के पक्षकार एवं कानून में विश्वास रखने वाले होते हैं। ये बदले की भावना में विश्वास नहीं रखते। ऐसे जातकों का भाग्योदय 16, 22, 28 या 33वें वर्ष में होता है।
मीन लग्न में जन्म लेने वाले जातकों का कद मध्यम आकार लिए होता है एवं ये गौरव वर्ण लिए होते हैं। इनकी नाक ऊँची अर्थात उप्पर को उठी हुई होती है। इनके केश घुघराले होते हैं। दांत छोटे व पैने एवं आँखें तीखापन लिए होती हैं। ऐसे जातक चिंतन मनन करने वाले होते हैं। ये ईश्वर में भक्ति रखने वाले होते हैं एवं सामाजिक रूढि़यों का कट्टरता से अनुपालन करते हैं। बातचीत की कला में ये माहिर होते हैं। कर्क, कन्या एवं वृश्चिक लग्न जातकों से इनके परस्पर मित्रतापूर्ण एवं प्रेमपूर्ण सम्बन्ध रहते हैं।
मीन लग्न में जन्मे जातकों की जन्म कुण्डली के सप्तम भाव पर यदि किसी अशुभ एवं पापक ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो तो दो विवाह होने की सम्भावना होती है। मीन लग्न में जन्मे जातकों को छुआछुत से सम्बंधित रोगों से ग्रस्त होने की पूर्ण सम्भावना रहती है। चन्द्रमा एवं मंगल ग्रह इनके लिए शुभ फलदायक व शुक्र, बुध, सूर्य एवं शनि ग्रह इनके लिए अशुभ फलदायक रहते हैं।
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