ज्योतिषशास्त्र : वैदिक पाराशर

सिंह लग्न के जातक का वैदिक जन्म कुंडली अनुसार फलादेश

Sandeep Pulasttya

8 साल पूर्व

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जन्म कुण्डली का पहला खाना सम्पूर्ण कुण्डली का सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाग होता है। ज्योतिष भाषा में इस खाने को प्रथम भाव अथवा लग्न भाव भी कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य किसी भी जातक की जन्म कुण्डली में लग्न एवं लग्नाधिपति अर्थात लग्नेश की स्थिति को देख कर ही सम्बंधित जातक के रंग, रूप, शारीरिक गठन, आचरण, स्वभाव एवं स्वास्थ्य आदि के सम्बन्ध में विवेचना कर देते हैं। कुछ अनुभवी एवं ज्ञानी ज्योतिषाचार्य तो किसी भी जातक की आभा, मुखमण्डल, आदतें एवं व्यवहार को देखकर ही सम्बंधित जातक के जन्म लग्न का एकदम सटीक पता लगा लेते हैं।

किसी जातक की जन्म कुण्डली का फलादेश बहुत कुछ उस जातक की कुण्डली के लग्न भाव की राशि, लग्नेश एवं उसकी स्थिति, लग्न भाव में स्थित ग्रह, लग्न भाव पर दृष्टि डालने वाले ग्रह, ग्रहों की युति तथा लग्न भाव की दृष्टि आदि से प्रभावित होता हैं। लोक प्रकृति, भौगोलिक एवं सामाजिक स्थितियाँ भी सम्बंधित जातक के कुण्डली फलादेश को प्रभावित करती हैं। यहां हम सिंह लग्न में जन्मे जातक का फलादेश प्रस्तुत कर रहे हैं-

 

सिंह लग्न :

सिंह लग्न में जन्मे जातक अनुशासन प्रिय होते हैं तथा इनमें आत्मविश्वास कूट कूट कर भरा होता है। ये न्याय प्रिय, शांति प्रिय, प्रसन्नचित एवं आध्यात्मिक प्रवृत्ति वाले होते हैं। ऐसे जातक मध्यस्थता का कार्य करने में निपुण, सत्य वचन कहने वाले, दार्शनिक सुधारवादी एवं तीक्ष्ण बुद्धि से युक्त, लोकप्रिय, स्त्री वर्ग एवं संगीत कला प्रेमी, बच्चों का विशेष स्नेही, प्रतिष्ठित एवं अच्छे से अच्छा कलाकार तक होता है। ऐसे जातक जीवन को परिस्थितियों के अनुरूप ढालने की क्षमता रखते हैं। अपने उच्चाधिकारियों के प्रति ये सदैव कृतज्ञ बने रहते हैं। इनमें शासन करने की अद्भुत क्षमता होती है, किन्तु सफल तथा संतुष्ट हो जाने पर ये प्रायः आलसी हो जाते हैं, पर किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति में आजीवन लगे रहते हैं। इनका भाग्योदय 24, 25, 32, 33 और 35 वें वर्ष में होता है।

सिंह राशि में जन्में जातकों की भौहें परस्पर मिलती हुई तथा जबड़ा भी कुछ कुछ वैसा ही होता है। इनका शारीरिक गठन मजबूत तथा शरीर लम्बा एवं छरहरा होता है।

प्रायः इन्हें गुस्सा कम ही आता है, किन्तु एक बार आक्रोश में भर जाएं तो शान्त भी कठिनाई से होते हैं और शत्रु का अंत तक कर डालते हैं। अपनी भावनाओं पर नियंत्रण कैसे रखा जाता है, कोई इनसे सीखे। ये सच्चे प्रेम में विश्वास करते हैं। धर्म के मामले में इनके विचार कट्टर होकर कुछ नरम होते हैं। यूं इनका स्वभाव गंभीर होता है, किन्तु व्यंग्यात्मक बातें करना इनकी आदत होती है। प्रेम व मित्रता इनकी मेष, मिथुन और कुम्भ राशि वाले से खूब जमती है।

ऐसे जातकों के यहां प्रायः एक ही पुत्र होता है। अपवाद रूप में या ग्रह स्थितिवश अधिक भी हो सकते हैं, यहां चूंकि हम राशि विशेष के फल की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। जो कि कुलदीपक होता है और पिता की प्रतिष्ठा को आगे बढ़ाता है।

सिंह लग्न के जातकों को गुप्त रोग, गुर्दा रोग, मूत्राशय एवं कमर सम्बंधित रोगों व विकारों से ग्रस्त होने की सम्भावना बलवती रहती है। सिंह लग्न के जातकों के लिए शनि, बुध एवं शुक्र ग्रह शुभ फलदायक एवं मंगल व बृहस्पति अशुभ फलदायक ग्रह माने गए हैं।

 

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