7 साल पूर्व
जन्म कुण्डली में स्थित ग्रह किसी भी जातक के जीवन शुभ अशुभ फल प्रदान कर प्रभावित करते हैं। ज्योतिषाचार्य किसी भी जातक पर ग्रहों के प्रभाव की विवेचना प्रायः दो विधियों को आधार बनाकर करते है एक तो कुण्डली में ग्रहो की जन्मकालीन स्थिति के अनुसार एवं दूसरा ग्रहो की दैनिक गोचर गति के अनुसार। जिस प्रकार किसी जातक की जन्म कुण्डली में स्थित ग्रहों का शुभ व अशुभ प्रभाव विभिन्न राशियों पर भिन्न भिन्न पड़ता है, उसी प्रकार ग्रह जन्म कुण्डली के बारह भावों के लिए प्रत्येक ग्रह का प्रभाव भी भिन्न भिन्न ही होता है।
निम्नवत मंगल ग्रह की कुण्डली के द्वादश भावों में प्रदत्त शुभ एवं अशुभ फलादेश की विवेचना की जा रही है :-
प्रथम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के प्रथम भाव अर्थात लग्न भाव में मंगल ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक अत्यंत क्रोधी स्वभाव वाला, साहस से परिपूर्ण, चतुर स्वभाव वाला, गुप्त रोग से पीड़ित रहने वाला, मस्तक पर किसी चोटादि के निशान वाला, स्वयं के विचारों से विहीन, महत्वाकांक्षी, लौह धातु एवं इससे उत्पन्न कष्ट से युक्त एवं व्यवसाय से हानि प्राप्त करने वाला होता है।
द्वितीय भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के द्वितीय भाव में मंगल ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक कटु वचन कहने वाला, बुद्धि विहीन, जमीन जायदाद के लिए भाइयों से रंजिश एवं मतभेद रखने वाला, स्वभाव से पराक्रमी, नेत्र एवं कर्ण रोग से पीड़ित रहने वाला, नीच लोगों की सांगत करने वाला, बेचैन रहने वाला, धन से विहीन एवं गर्म पदार्थ खाने में रूचि रखने वाला होता है।
तृतीय भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के तृतीय भाव में मंगल ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक प्रसिद्ध, शूरवीर, धैर्यवान, साहसी, बंधुहीन, बलवान, भाई के लिए कष्टदायी एवं कड़वे वचन कहने वाला, उदार एवं परोपकारी प्रवृत्ति वाला, व्यक्तित्व से रौबीला एवं देखने में सुन्दर होता है।
चतुर्थ भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के चतुर्थ भाव में मंगल ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक माता एवं पिता दोनों के लिए अशुभ प्रभावकारी होती है, दाम्पत्य सुख से विहीन, मित्रों से असहयोग प्राप्त करने वाला एवं अल्प मातृ सुख प्राप्त करने वाला होता है।
पंचम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के पंचम भाव में मंगल ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक कपटी स्वभाव वाला, व्यसनी, रोगी, गुप्तांग रोगी, स्वभाव से चंचल एवं उग्र, बुद्धिमान एवं क्लेश युक्त जीवन व्यतीत करने वाला होता है।
षष्टम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के षष्टम भाव में मंगल ग्रह स्थित होता है तो ऐसा जातक, पुलिस अफसर, शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला, धैर्यवान, कुलदीपक, बलवान, धन का अपव्यय करने वाला, अनेक स्त्रियों में रत, रक्त सम्बंधित विकारों से ग्रस्त, ननिहाल के सुख से वंचित, चचेरे भाइयों से वैचारिक मतभेद रखने वाला एवं न्यायालय सम्बंधित कार्यों में विजय प्राप्त करने वाला होता है।
सप्तम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के सप्तम भाव में मंगल ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक स्त्री सुख से वंचित, ईर्षालु प्रवृत्ति वाला, धन का अपव्यय करने वाला, शीघ्र क्रोधित होने वाला, निडर, धूर्त, मूर्ख एवं वात सम्बंधित रोगों विकारों से ग्रस्त रहने वाला होता है।
अष्टम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के अष्टम भाव में मंगल ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक कष्टों एवं दुश्वारियों से सदैव घिरा रहने वाला, समस्त प्रकार के मधपान करने वाला, कटु एवं कठोर वचन बोलने वाला, रक्तविकार से ग्रस्त, विभिन्न रोगों एवं विकारों से ग्रस्त, संकोची स्वाभाव वाला एवं धनाभाव से ग्रस्त होता है।
नवम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के नवम भाव में मंगल ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक यशस्वी, अपने भाइयों से मतभेद एवं द्धेष रखने वाला, अभिमानी एवं ईर्षालु प्रवृत्ति वाला, अधिक क्रोध करने वाला, लाभ से वंचित अथवा अल्प लाभ प्राप्त करने वाला, अपने बलबूते उन्नति करने वाला, कुल को रोशन करने वाला होता है।
दशम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के दशम भाव में मंगल ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक कुल को रोशन करने वाला, स्वाभिमानी प्रवृत्ति वाला, धन धान्य एवं वाहन आदि के सुख से परिपूर्ण, यशस्वी एवं कार्य में सफलता प्राप्त करने वाला होता है।
एकादश भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के एकादश भाव में मंगल ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक अपने बलबूते उन्नति करने वाला, पशु सम्बंधित व्यवसाय से धन अर्जित करने वाला, शीघ्र क्रोधित होने वाला, कटु वचन कहने वाला, साहसी, धैर्य से काम लेने वाला, जन्म स्थल से दूर जाकर बस्ने वाला, न्यायप्रिय, रत्नों के संग्रह में विशेष रूचि रखने वाला एवं पुत्र सुख से वंचित रहने वाला होता है।
द्वादश भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के द्वादश भाव में मंगल ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक दाम्पत्य सुख से वंचित, मूर्ख एवं नीच प्रवृत्ति वाला, आकस्मिक खर्चों से ग्रस्त रहने वाला, अधिक क्रोध करने वाला, धन का संचय न कर पाने वाला एवं जीवन में कभी न कभी कारावास भोगने वाला होता है।
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