7 साल पूर्व
बड़े बड़े ज्योतिषाचार्यों एवं ऋषि मुनियों ने यह सिद्ध किया है कि किस्मत का लिखा कभी नहीं मिटता। रामायण, महाभारत एवं शास्त्रों में पौराणिक घटनाक्रम के जो व्याख्यान उपलब्ध हैं, उनसे भी इस कथन को बल मिलता है। बहुतेरे ज्ञानी ज्योतिष भविष्य को खतरे से बचाने के लिये उपाय दर उपाय एवं टोटके करते रहे, परन्तु वे उस घटना को पूर्णतः बचा नहीं पाये। टोटके एवं उपायों के प्रभाव से हम भविष्य के घटनाचक्र को हम अपने अनुरूप बदल लेंगे एवं अपने कष्टों को दूर कर लेंगे, ऐसा सोचना अनुचित ही है। वस्तुतः सत्य यह है कि टोटके एवं उपायों के प्रभाव से भविष्य के घटनाचक्र से उत्पन्न होने वाले प्रभाव को कुछ कम या अधिक किया जा सकता है।
यहां हम वृष लग्न की कुण्डली के अनुसार मंगली दोष निवारण हेतु कुछ टोटके एवं उपाय दे रहे हैं।
वृष लग्न के जातक हेतु मांगलिक दोष निवारण उपाय :-
प्रथम अथवा लग्न भाव में मंगल ग्रह स्थित है :
उपाय : सम्बंधित जातक को चाहिए कि वह चांदी के आभूषण पर ताम्बे की पाॅलिश करवा कर धारण करें, माता की सदैव सेवा करें, आचरण से पवित्र रहे, अधिकांशतः लाल रंग के वस्त्र ही धारण करें, किसी से दान अथवा उपहार न स्वीकार करे, तो ऐसा करने से मांगलिक दोष का निवारण होता है।
चौथे भाव में मंगल ग्रह स्थित है :
उपाय : सम्बंधित जातक को चाहिए कि वह दक्षिणी दिशा मुखी घर में निवास न करें, चांदी के कड़े में ताम्बे की कील डालकर धारण करें, प्रत्येक मंगलवार हनुमान चालीसा का पाठ करें, बहते जल में शहद एवं सिन्दूर प्रवाहित करें, तो ऐसा करने से मांगलिक दोष का निवारण होता है।
सप्तम भाव में मंगल ग्रह स्थित है :
उपाय : सम्बंधित जातक को चाहिए कि वह दक्षिणी दिशा मुखी घर में निवास न करें, मांस मदिरा के सेवन से दूर रहे, आचरण से पवित्र रहे, कन्याओं को मिष्ठान खिलाएं, सोने से निर्मित अंगूठी में मूंगा रत्न जड़वाकर धारण करें, तो ऐसा करने से मांगलिक दोष का निवारण होता है।
अष्टम भाव में मंगल ग्रह स्थित है :
उपाय : सम्बंधित जातक को चाहिए कि वह दक्षिणी दिशा मुखी घर में निवास न करें, मांस मदिरा के सेवन से दूर रहे, आचरण से पवित्र रहे, कन्याओं को मिष्ठान खिलाएं, सोने से निर्मित अंगूठी में मूंगा रत्न जड़वाकर धारण करें, तो ऐसा करने से मांगलिक दोष का निवारण होता है।
द्वादश भाव में मंगल ग्रह स्थित है :
उपाय : सम्बंधित जातक को चाहिए कि वह सोने से निर्मित अंगूठी में मूंगा रत्न जड़वाकर धारण करें, नित्य प्रातः शहद खायें, दूध एवं हलवा का सेवन स्वमं तो करें ही एवं दूसरों को भी कराएं, नित्य दुर्गाजी का पूजन अर्चन करें, तो ऐसा करने से मांगलिक दोष का निवारण होता है।
साधारण तंत्र उपचार
मांगलिक दोष के निवारणार्थ प्राणायाम करते हुए गले के चक्र पर ध्यान लगाएं। चन्द्रमा की किरणों को बढ़ाने का उपाय करें। इससे रक्तिम किरणें सिन्दूरी एवं नारंगी हो जायेंगी और कर्म एवं भोग की प्राप्ति होगी।
नोट : अपने जीवन से सम्बंधित जटिल एवं अनसुलझी समस्याओं का सटीक समाधान अथवा परामर्श ज्योतिषशास्त्र हॉरोस्कोप फॉर्म के माध्यम से अपनी समस्या भेजकर अब आप घर बैठे ही ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं |
© The content in this article consists copyright, please don't try to copy & paste it.