8 साल पूर्व
किसी जातक की जन्म कुण्डली में स्थित ग्रह अपने शुभ अथवा अशुभ फल सम्बंधित जातक को अवश्य ही प्रदान करते हैं। पुराण काल से ऋषि मुनि एवं आचार्य शास्त्रों में वर्णित विधियों के अनुसार अरिष्ट शान्ति अथवा ग्रह शान्ति के ऊपर एवं समाधान करते आ रहे हैं। इसके लिए किसी समय विशेष कष्ट कारक एवं अशुभ फल प्रदान करने वाले ग्रह के लिए वे तथाकथित जातक से सम्बंधित ग्रह के कष्टकारी व अशुभ प्रभाव के निदान हेतु कुछ दान, व्रत व जप कराते रहे हैं अथवा स्वमं ही उसके लिए ऐसा करते आ रहे हैं। ग्रहों के कष्टकारी व अशुभ प्रभाव के निदान हेतु रत्न अथवा पत्थर आदि धारण करने का भी प्रचलन है।
यहां हम समस्त नवग्रहों की शान्ति एवं अशुभ दोष निवारण हेतु सम्बंधित वस्तुएं, रत्न, जप का मंत्र तथा मंत्र जप की संख्या आदि का विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं :
सूर्य ग्रह शान्ति हेतु विधि :-
दान :- लाल कपड़ा, लाल कमल, गुड़, गेहूं, घी, मसूर, सोना, तांबा, कुमकुम, कनेर के फूल एवं गौ बछड़े सहित। वस्तुतः सूर्य ग्रह शान्ति हेतु इन समस्त वस्तुओं का अथवा जितनी वस्तुएँ यथा शक्ति उपलब्ध हों, उनका यथा शक्ति दान करें।
जप मंत्र:- ओइम घृणिः सूर्याय नमः।
उक्त मंत्र का 7000 संख्या में जप कर, आक की लकड़ी से दशांश हवन करना चाहिए।
रत्न :- माणिक रत्न को स्वर्ण से निर्मित अंगूठी में जड़वाकर दाएं हाथ की अनामिका में धारण करें।
चन्द्रमा ग्रह शान्ति हेतु विधि :-
दान :- सफेद वस्त्र, सफेद फूल, सफेद वृषभ, खाँड, चीनी, मोती, चांदी, चावल, दही व शंख आदि।
मंत्र:- ओइम स्वौ सोमाय नमः।
उक्त मंत्र का 11000 संख्या में जप कर, ढाक की लकड़ी से दशांश हवन करना चाहिए।
रत्न :- सफेद शुद्ध मोती चांदी से निर्मित अंगूठी में जड़वाकर दाएं हाथ की अनामिका में धारण करें।
मंगल ग्रह शान्ति विधि :-
दान :- लाल वस्त्र, लाल पुष्प, मसूर, केसर, गुड़, घी, गेहूँ व तांबा आदि।
मंत्र:- ओइम अंगारकाय नमः।
उक्त मंत्र का 10000 संख्या में जप कर, खैर अर्थात खदिर की लकड़ी से दशांश हवन करना चाहिए।
रत्न :- मूंगा रत्न स्वर्ण अथवा तांबे में जड़वाकर धारण करना चाहिए।
बुध ग्रह शान्ति विधि :-
दान :- हरा वस्त्र, हरा पुष्प, काँसे का बर्तन, मूँग, कपूर, खाँड, घी, चांदी, हाथी दन्त आदि।
मंत्र:- ओइम बुं बुधाय नमः।
उक्त मंत्र का 19000 संख्या में जप कर, चिरचीरी की लकड़ी से दशांश हवन करना चाहिए।
रत्न :- पन्ना रत्न चाँदी अथवा स्वर्ण से निर्मित अंगूठी में जड़वाकर दाएं हाथ की अनामिका में धारण करें।
बृहस्पति ग्रह शान्ति विधि :-
दान :- पीला वस्त्र, पीला पुष्प, चने की दाल, कच्ची शक्कर, हल्दी, घी एवं स्वर्ण।
मंत्र :- ओइम बृं बृहस्पतये नमः।
उक्त मंत्र का 19000 संख्या में जप कर, पीपल की लकड़ी से दशांश हवन करना चाहिए।
रत्न :- पुखराज रत्न को स्वर्ण से निर्मित अंगूठी में जड़वाकर दाएं हाथ के अंगूठे के पास वाली अंगुली अर्थात तर्जनी में अथवा अनामिका में धारण करें।
शुक्र ग्रह शान्ति विधि :-
दान :- सफेद वस्त्र, सफेद पुष्प, सफेद चन्दन, चाँदी, चावल, दूध, घी, खुशबूदार धूप या अगरबत्ती।
मंत्र:- ओइम शुं शुक्राय नमः।
उक्त मंत्र का 6000 संख्या में जप कर, गूलर की लकड़ी से दशांश हवन करना चाहिए।
रत्न :- हीरा रत्न चाँदी अथवा प्लैटिनम धातु में जड़वाकर धारण करें।
शनि ग्रह शान्ति विधि :-
दान :- काला वस्त्र, काला पुष्प, काला तिल, काला कम्बल, साबुत उड़द, लोहा, अलसी, तेज, जूट एवं कस्तूरी।
मंत्र :- ओइम शं शनेश्चराय नमः।
उक्त मंत्र का 23000 संख्या में जप कर, शमी की लकड़ी से दशांश हवन करना चाहिए।
रत्न :- नीलम रत्न को चांदी अथवा सप्तधातु में जड़वाकर, बाएं हाथ की मध्य अंगुली में धारण करें।
राहु ग्रह शान्ति विधि :-
दान :- काला पुष्प, नीला कपड़ा, काला अथवा नीला कम्बल अथवा ऊनी कपड़ा, काले तिल, तेल, काली उड़द, कुल्थी, सरसों दाना एवं राई।
मंत्र :- ओइम रं राहवे नमः।
उक्त मंत्र का 18000 संख्या में जप कर, दूध सहित आम की लकड़ी से दशांश हवन करना चाहिए।
रत्न :- गोमेद रत्न को चांदी अथवा अष्टधातु में जड़वाकर, बाएं हाथ की मध्य अंगुली में धारण करें।
केतु ग्रह शान्ति विधि :-
दान :- ऊनी कपड़ा, बकरा, सात अनाज, तिल एवं काजल।
मंत्र :- ओइम कं केतवे नमः।
उक्त मंत्र का 17000 संख्या में जप कर, कुश घास मिश्रित आम की लकड़ी से दशांश हवन करना चाहिए।
रत्न :- लहसुनियाँ रत्न चांदी, तांबे अथवा अष्टधातु में जड़वाकर, बाएं हाथ की मध्य अंगुली अथवा अनामिका में धारण करें।
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