ज्योतिषशास्त्र : वैदिक पाराशर

नव दुर्गा का अष्टम स्वरुप - महागौरी

Sandeep Pulasttya

5 साल पूर्व

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माँ दुर्गा जी की आंठवी शक्ति का नाम महागौरी है इनका वर्ण पूर्णतः गौर है इस गौरता की उपमा शंख चंद्र और कूंद के फूल से की गई है | इनकी आयु आठ वर्ष मानी गई है | अष्टवर्षा भवेद गौरी इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि भी श्वेत हैं | इनकी चार भुजाएं हैं | इनका वाहन वृषभ है | इनके उप्पर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है | उप्पर वाले बाये हाथ में डमरू और नीचे के बाये हाथ में वर मुद्रा है इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है | दुर्गा पूजा के आठवें दिन महागौरी की उपसाना का विधान है इनकी शक्ति अमोघ और सद्य फलदायिनी है | माँ महागौरी का ध्यान स्मरण पूजन आराधना भक्तों के लिए कल्याणकारी है | हमें सदैव इनका ध्यान करना चाहिए | इनकी साधना से साधक को उच्त्तम अवस्था प्राप्त होती है व सभी पापों व संतापों का नाश होता है |

नैवैध के रूप में माँ महागौरी को खीर, श्रीफल व अंगूर अर्पित करें |

 

ध्यान मन्त्र जप :-

श्वते वृषे समारुढा श्वेतांबर-धरा शुचिः |

महागौरी शुभं दधानु-महादेव प्रमोद दा ||

 

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