5 साल पूर्व
माँ दुर्गा जी की नवी शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है | ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली है | मार्कण्डेयपुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और विशित्व ये आठ सिद्धियां होती हैं | माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं | इनका वाहन सिंह है | ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं | इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में चक्र, उप्पर वाले हाथ में गदा तथा बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और उप्पर वाले हाथ में कमल पुष्प हैं | नवरात्र पूजन के दिन इनकी उपासना की जाती है | नव दुर्गाओं में माँ सिद्धिदात्री अंतिम हैं अन्य आठ दुर्गाओं की पूजा उपासना शास्त्रीय विधि विधान के अनुसार करते भक्त दुर्गा पूजा के नवें दिन इनकी उपासना में प्रवृत होते हैं | इन सिद्धिदात्री माँ की उपासना में प्रवृत्त होते हैं | इन सिद्धिदात्री माँ की उपसाना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक परलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ती हो जाती है | सर्वसुख व सिद्धियों की प्राप्ति के साथ मोक्ष की भी प्राप्ति हो जाती है |
नैवैध में माँ सिद्धिदात्री को दूध, खजूर और धान का लावा या भुने चावल की खीर अर्पित करें |
ध्यान मन्त्र जप :-
सिद्ध गंधर्व यक्षा धैर, सुरैर मरैरपि सेव्यमाना सदा भूयात, सिद्धि या सिद्धिदायिनी ||
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