5 साल पूर्व
माँ दुर्गा जी की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है | नवरात्र उपसाना में तीसरे दिन इन्ही के विग्रह का पूजन आराधना किया जाता है | इनका यह स्वरुप परम शक्तिदायक और कल्याणकारी है | इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र है | इसी कारण से इन्हे चन्द्रघण्टा कहा जाता है इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है | इनके दस हाथ हैं | इनके दस हाथों में खडग आदि शास्त्र तथा बाण आदि अस्त्र विभूषित है | इनका वाहन सिंह है | नवरात्र की दुर्गा उपसाना में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व है | इस दिन साधक का मन मणिपुर चक्र में प्रविष्ट होता है | माँ चन्द्रघण्टा की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएं विनिष्ट हो जाती हैं | इनकी आराधना सदा फलदायी है | हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखते हुए साधना की ओर अग्रसर होने का प्रयत्न करना चाहिए | उनका ध्यान हमारे इंद्रलोक और परलोक दोनों के लिए परम कल्याणकारी और सदगति को देने वाला है | माँ चंद्रघंटा की उपासना दुखों का नाश करती है व सांसारिक कष्टों से मुक्ति दिलाती है |
नैवैध में केला, दूध और शुद्ध घी से बना चने के आटे का चूर्ण चढ़ाना चाहिए |
ध्यान मन्त्र जप :-
पिंडन-प्रवारुढा, चंड-कोपास्त्रकैयुर्ता |
प्रसादं तनुते मध्य, चंद्र घंटेति विश्रुता ||
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