7 साल पूर्व
किसी जातक की जन्म कुण्डली में जब ग्रह अपनी उच्च राशियों में स्थित होते हैं तब वह सम्बंधित जातक को प्रभाव भी शुभाशुभ ही प्रदान करते हैं। निम्न हम विभिन्न ग्रहों का उनकी उच्च की स्थिति के अनुसार फलादेश प्रस्तुत कर रहे है -
उच्च राशिगत ग्रहों का फलादेश:
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में सूर्य उच्च राशिगत होता है तो ऐसा जातक धनी, भाग्यशील, यश की प्राप्ति करने वाला, नेतृत्व क्षमता में निपुण, ज्ञानी एवं सुखी होता है।
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में चंद्रमा उच्च राशिगत होता है तो ऐसा जातक अत्यंत भोगी, विलासी, कामी, अलंकार प्रिय, चतुर व चपल, मिष्ठान में रुचिकर, यश की प्राप्ति करने वाला, समाज में आदर प्राप्त करने वाला एवं सुखी जीवन जीने वाला होता है।
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में मंगल उच्च राशिगत होता है तो ऐसा जातक कर्तव्यपरायण, साहसी, शूरवीर एवं राज्य से सम्मान पाने वाला होता है।
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध उच्च राशिगत होता है तो ऐसा जातक बुद्धिमान, लेखक, संपादक, राजा के समान धनवान, ऐश्वर्यशाली, वंशावृद्धि करने वाला, कुलश्रेष्ठ, शत्रुनाशक एवं सुखी होता है।
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में गुरू उच्चराशिगत होकर कर्क राशि का भी हो, तो सम्बंधित जातक एक राजप्रिय एवं ऐश्वर्यशाली कुशल प्रशासक, सुशील, विद्वान्, चतुर, सद्गुणी एवं सुखी जीवन जीने वाला होता है।
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में शुक्र उच्च राशिगत होता है तो ऐसा जातक अत्यंत भाग्यवान, विलासी, कामी, सुखी, गायन एवं संगीत में विशेष रूचि रखने वाला होता है।
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में शनि उच्च राशिगत होता है तो ऐसा जातक धनवान एवं संपत्तिशाली, भूमिपति अथवा जमींदार, कृषक, प्रापर्टी डीलर, किसी प्रांत का भूतपूर्व नरेश अथवा नवाब, यशस्वी, ऐश्वर्यशाली एवं सुखी जीवन जीने वाला होता है।
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में राहु उच्च राशिगत होता है तो ऐसा जातक धनवान्, शूरवीर, साहसी एवं नेतृत्व क्षमता में निपुण होता है।
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में केतु उच्च राशिगत होता है तो ऐसा जातक देश के सर्वोच्च व्यक्ति का सलाहकार अथवा उसे समीपस्थ रहने वाला, भ्रमण में रूचि रखने वाला एवं नीच प्रवृत्ति वाला होता है।
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