7 साल पूर्व
ज्योतिष शास्त्र में कुण्डली में स्थित लग्न, ग्रहों, राशियों, नक्षत्रों आदि के साथ साथ नवमांशानुसार भी स्त्रियों के सम्बन्ध में ग्रहों का विषेश फ़लादेश का विवेचन किया गया है जिसके अनुसार :–
♦ यदि किसी स्त्री के जन्म समय में शनि ग्रह शुक्र ग्रह के नवांश में स्थित हो, एवं शुक्र ग्रह शनि ग्रह के नवांश में स्थित हो एवं दोनों ग्रह एक दूसरे पर अपनी पूर्ण दृष्टि डाल रहे हों अथवा सम्बंधित स्त्री का जन्म वृष अथवा तुला लग्न में हुआ हो एवं उसका कुंभ के नवांश में उदय हुआ हो, तो ऐसी स्त्री कृत्रिम तरीकों से अपनी कामाग्नि को शांत करती है।
♦ यदि किसी स्त्री की जन्म कुण्डली के सातवें भाव में मंगल का नवांश स्थित हो एवं उस पर शनि की दृष्टि पद रही हो, तो ऐसी स्त्री गुप्त रोग से पीड़ित रहती है।
♦ यदि किसी स्त्री की जन्म कुण्डली के सप्तम भाव में मकर एवं कुंभ राशि के नवांश का उदय हो एवं सप्तम भाव में मकर, कुंभ राशि में स्थित हो, तो ऐसी स्त्री का पति वृद्ध अथवा मूर्ख होता है।
♦ यदि किसी स्त्री की जन्म कुण्डली के सप्तम भाव में बुध अथवा तुला राशि हो एवं शुक्र के नवांश का उदय हो, तो ऐसी स्त्री का पति सुंदर एवं सबको प्रिय होता है।
♦ यदि किसी स्त्री की जन्म कुण्डली के सप्तम भाव में मिथुन अथवा कन्या राशि स्थित हो एवं बुध का नवांश हो, तो ऐसी स्त्री का पति विद्वान अथवा चतुर होता है।
♦ जन्म कुण्डली के सप्तम भाव में कर्क राशि स्थित हो एवं कर्क का ही नवांश हो, तो ऐसी स्त्री का पति अत्यंत कामी एवं कोमल स्वभाव वाला होता है।
♦ जन्म कुण्डली के सप्तम भाव में यदि धुन एवं मीन राशि स्थित हो एवं गुरु का नवांश हो, तो ऐसी स्त्री का पति गुणवान एवं जितेंद्रिय होता है।
♦ जन्म कुण्डली के सप्तम भाव में यदि सिंह राशि स्थित हो एवं सिंह का ही नवांश हो, तो ऐसी स्त्री का पति व्यवसायी एवं कोमल स्वभाव वाला होता है।
♦ जन्म कुण्डली के अष्टम में अशुभ ग्रह स्थित हों एवं अष्टम भाव का स्वामी जिस ग्रह के नवांश में स्थित हो, उस ग्रह की दशा अथवा अंतर्दशा में ऐसी स्त्री विधवा होती है।
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