8 साल पूर्व
किसी जातक की जन्म कुण्डली में जब ग्रह अपनी नीच राशियों में स्थित होते हैं तब वह सम्बंधित जातक को प्रभाव भी अशुभ ही प्रदान करते हैं। निम्न हम विभिन्न ग्रहों का उनकी नीच की स्थिति के अनुसार फलादेश प्रस्तुत कर रहे है -
नीच राशिगत ग्रहों का फलादेश :-
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में सूर्य ग्रह नीचराशिगत होता है तो ऐसा जातक भाई बंधुओं की सेवा करने वाला, नीच प्रकृति का एवं पापकर्म करने वाला होता है।
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा ग्रह नीचराशिगत होता है तो ऐसा जातक अल्पधनी, नीच प्रकृति का, दूसरों को दुःख देने वाला, रोगी काय वाला एवं बलहीन होता है।
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में मंगल ग्रह नीचराशिगत होता है तो ऐसा जातक दूसरों के अहसानो को न मानने वाला एवं नीच प्रवृत्ति वाला होता है।
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में बुध ग्रह नीचराशिगत होता है तो ऐसा जातक, उग्र एवं चंचल स्वभाव वाला व भाई बंधुओं का हित करने वाला होता है।
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में गुरु ग्रह नीचराशिगत होता है तो ऐसा जातक दुष्ट एवं अपयश को प्राप्त करने वाला होता है।
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में शुक्र ग्रह नीचराशिगत होता है तो ऐसा जातक सदैव किसी न किसी कारण से दुःखी होता है।
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में शनि ग्रह नीचराशिगत होता है तो ऐसा जातक दरिद्र एवं सदैव दुःख भोगने वाला होता है।
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में राहु ग्रह नीचराशिगत होता है तो ऐसा जातक दरिद्र एवं सदैव दुःख भोगने वाला होता है।
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में केतु ग्रह नीचराशिगत होता है तो ऐसा जातक दरिद्र एवं सदैव दुःख भोगने वाला होता है।
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