7 साल पूर्व
जन्म कुण्डली में स्थित ग्रह किसी भी जातक के जीवन शुभ अशुभ फल प्रदान कर प्रभावित करते हैं। ज्योतिषाचार्य किसी भी जातक पर ग्रहों के प्रभाव की विवेचना प्रायः दो विधियों को आधार बनाकर करते है एक तो कुण्डली में ग्रहो की जन्मकालीन स्थिति के अनुसार एवं दूसरा ग्रहो की दैनिक गोचर गति के अनुसार। जिस प्रकार किसी जातक की जन्म कुण्डली में स्थित ग्रहों का शुभ व अशुभ प्रभाव विभिन्न राशियों पर भिन्न भिन्न पड़ता है, उसी प्रकार ग्रह जन्म कुण्डली के बारह भावों के लिए प्रत्येक ग्रह का प्रभाव भी भिन्न भिन्न ही होता है।
निम्नवत शुक्र ग्रह की कुण्डली के द्वादश भावों में प्रदत्त शुभ एवं अशुभ फलादेश की विवेचना की जा रही है -
प्रथम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के प्रथम भाव अर्थात लग्न भाव में शुक्र ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक आकर्षक व्यक्तित्व वाला, सुगठित देह युक्त, सुंदर मुख मण्डल से युक्त, अनेक स्त्रियों का भोग करने वाला, उत्तम जीवन का भोग करने वाला, श्रेष्ठ कर्मों को क्रियान्वित करने वाला, दीर्घ आयु से युक्त, स्वस्थ काया का स्वामी, वाणी से मधुर वचन कहने वाला, विधावान एवं अपने परिवार का सुख पूर्वक पालन पोषण करने वाला होता है।
द्वितीय भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के द्वितीय भाव में शुक्र ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक अनेकों स्त्रियों का भोग करने वाला, सुंदर वस्त्र धारण में रूचि रखने वाला, मिष्ठान में रूचि रखने वाला, सभी को प्रिय लगने वाला, रत्नो का पारखी, कवित्व प्रवृत्ति वाला, लम्बी आयु से युक्त, साहस से परिपूर्ण, भाग्यशाली एवं संचालन क्षमता में प्रवीण होता है।
तृतीय भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के तृतीय भाव में शुक्र ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक विधावान, चित्रकार, भाग्यशाली, भ्रमण में रूचि रखने वाला, अत्यंत साहसी प्रवृत्ति वाला, कृपण, आलस्य से भरा हुआ एवं अपनी संतान से असंतुष्ट रहने वाला होता है।
चतुर्थ भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के चतुर्थ भाव में शुक्र ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक व्यवसायी, कवि अथवा लेखक अथवा गायक, उच्च अधिकारी पद पर आसीन, अल्प मित्रों वाला, सुखी जीवन भोगने वाला, भाग्यवान, स्वभाव से उदार, ईश्वर में आस्था रखने वाला एवं अपनी माता का दुलारा होता है।
पंचम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के पंचम भाव में शुक्र ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक शत्रु पर विजय प्राप्त करने वाला, अल्प परिश्रम से ही समस्त कार्य संपन्न कराने वाला, लम्बा जीवन भोगने वाला, व्यवहार कुशल, दूसरों पर उपकार करने वाला एवं ईश्वर में आस्था रखने वाला होता है।
षष्टम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के षष्टम भाव में शुक्र ग्रह स्थित होता है तो ऐसा जातक, नीच प्रवृत्ति के मित्रों की संगत करने वाला, आचरणहीन, फिजूलखर्च करने वाला, कुकर्मों से स्वमं का धन नष्ट करने वाला, अनेकों शत्रुओं से त्रस्त रहने वाला, किसी भी कार्य में पूर्ण सफलता प्राप्त न करने वाला, स्त्री, पिता एवं भाइयों के सुख से वंचित रहने वाला, दुराचारी प्रवृत्ति वाला, गुप्त एवं मूत्र सम्बंधित रोगों व विकारों से ग्रसित रहने वाला होता है।
सप्तम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के सप्तम भाव में शुक्र ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक भोगी एवं विलासी प्रवृत्ति वाला, घुमन्तु प्रवृत्ति वाला, परिश्रमी, व्यर्थ की चिंता करने वाला, स्वभाव से उदार एवं चंचल, सर्वप्रिय, धन संपत्ति से परिपूर्ण, वेश्या गमन की प्रवृत्ति रखने वाला, स्त्री के सुख से युक्त एवं विवाहोपरांत भाग्योदय का सुख प्राप्त करने वाला होता है।
अष्टम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के अष्टम भाव में शुक्र ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक विभिन्न रोगों व विकारों से ग्रस्त रहने वाला, स्वभाव से क्रोधी एवं चिड़चिड़ा, सदैव किसी न किसी का देनदार रहने वाला, सदैव दुःखी रहने वाला, गुप्त रोगों विकारों से पीड़ित रहने वाला, घुमन्तु प्रवृत्ति वाला, लम्बी आयु से युक्त, कटु वचन कहने वाला, पर स्त्रियों में रत एवं अपने समस्त कार्य एवं क्रिया कलाप बाधा व कठिनाई से पूर्ण करने वाला होता है।
नवम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के नवम भाव में शुक्र ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक चंचल प्रवृत्ति वाला, स्वभाव से उत्तम, ईश्वर के प्रति आस्थावान, गुणों से भरपूर, भाइयों से सहयोग प्राप्त करने वाला एवं अपना जीवन सुखपूर्वक व्यतीत करने वाला होता है।
दशम भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के दशम भाव में शुक्र ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक सुंदर मुख मण्डल वाला, स्वभाव से सुशील, यशस्वी, सत्य वचन कहने वाला, गुणों से भरपूर, भाग्यशाली, धन से परिपूर्ण, ऐश्वर्यशाली, सर्व प्रिय, अत्यधिक काम भावना से भरा हुआ, पुत्र सुख से युक्त, जीवन में अनेक कीर्तिमान स्थापित करने वाला एवं अपने समस्त कार्यों में लाभ प्राप्त करने वाला होता है।
एकादश भाव फलादेश : किसी जातक की जन्म कुण्डली के एकादश भाव में शुक्र ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक स्थूल देह वाला, पर स्त्री गमन में रत, स्वभाव से आलसी, शत्रु पर विजय प्राप्त करने वाला, अत्यधिक खर्च करने वाला, विधा के प्रति रूचि रखने वाला, दूसरों के गुणों को पहचानकर उन्हें ग्रहण करने वाला एवं धन धान्य से परिपूर्ण रहने वाला होता है।
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