ज्योतिषशास्त्र : वैदिक पाराशर

तुला लग्न के जातक हेतु मांगलिक दोष निवारण उपाय

Sandeep Pulasttya

7 साल पूर्व

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बड़े बड़े ज्योतिषाचार्यों एवं ऋषि मुनियों ने यह सिद्ध किया है कि किस्मत का लिखा कभी नहीं मिटता। रामायण, महाभारत एवं शास्त्रों में पौराणिक घटनाक्रम के जो व्याख्यान उपलब्ध हैं, उनसे भी इस कथन को बल मिलता है। बहुतेरे ज्ञानी ज्योतिष भविष्य को खतरे से बचाने के लिये उपाय दर उपाय एवं टोटके करते रहे, परन्तु वे उस घटना को पूर्णतः बचा नहीं पाये। टोटके एवं उपायों के प्रभाव से हम भविष्य के घटनाचक्र को हम अपने अनुरूप बदल लेंगे एवं अपने कष्टों को दूर कर लेंगे, ऐसा सोचना अनुचित ही है। वस्तुतः सत्य यह है कि टोटके एवं उपायों के प्रभाव से भविष्य के घटनाचक्र से उत्पन्न होने वाले प्रभाव को कुछ कम या अधिक किया जा सकता है।

यहां हम तुला लग्न की कुण्डली के अनुसार मंगली दोष निवारण हेतु कुछ टोटके एवं उपाय दे रहे हैं :

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तुला लग्न के जातक हेतु मांगलिक दोष निवारण उपाय :-

 

प्रथम अथवा लग्न भाव में मंगल ग्रह स्थित है :

उपाय :   सम्बंधित जातक को चाहिए कि वह सोने की अंगूठी में मूंगा रत्न जड़वाकर धारण करें, किसी से उपहार अथवा दान स्वीकार न करें, कदापि झूंठ न बोलें, चांदी के कड़े पर तांबे की पालिश करके पति अथवा पत्नी धारण करें, तो ऐसा करने से मांगलिक दोष का निवारण होता है।

 

चौथे भाव में मंगल ग्रह स्थित है :

उपाय :   सम्बंधित जातक को चाहिए कि वह चांदी के कड़े में तांबे की कील डालकर धारण करे, दक्षिण दिशा मुखी घर में निवास न करे, सदैव अपनी माता की सेवा करें, किसी से उपहार अथवा दान स्वीकार न करें, बहते जल में शहद एवं सिन्दूर प्रवाहित करें, तो ऐसा करने से मांगलिक दोष का निवारण होता है।

 

सप्तम भाव में मंगल ग्रह स्थित है :

 

उपाय :   सम्बंधित जातक को चाहिए कि वह कन्याओं को मिष्ठान खिलायें, नित्य हनुमान जी का पूजन अर्चन करें, तो ऐसा करने से मांगलिक दोष का निवारण होता है।

 

अष्टम भाव में मंगल ग्रह स्थित है :

उपाय :   सम्बंधित जातक को चाहिए कि वह चांदी के कड़े में तांबे की कील डालकर धारण करे,  काले, काने, अपंग, गंजे एवं निःसंतान से सावधान रहें, दक्षिण दिशा मुखी घर में निवास न करे, विधवा स्त्रियों की सहायता करें, कुत्तों को मीठी रोटी खिलायें, तो ऐसा करने से मांगलिक दोष का निवारण होता है।

 

द्वादश भाव में मंगल ग्रह स्थित है :

उपाय :   सम्बंधित जातक को चाहिए कि वह स्वमं तो दूध एवं हलवे का सेवन करे ही साथ ही दूसरों को भी करवाये, कन्याओं को मिष्ठान खिलाएं, जंग लगा लोहा अथवा लोहे से निर्मित हथियार घर में न रखें, नित्य हनुमानजी एवं दुर्गा जी की उपासना एवं पूजन करें।

 

 

साधारण तंत्र उपचार

♦   मांगलिक दोष के निवारणार्थ प्राणायाम करते हुए गले के चक्र पर ध्यान लगाएं।

♦   चन्द्रमा की किरणों को बढ़ाने का उपाय करें।

इससे रक्तिम किरणें सिन्दूरी एवं नारंगी हो जायेंगी और कर्म एवं भोग की प्राप्ति होगी।

 

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