8 साल पूर्व
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार रत्न धारण करना सौभाग्यवर्धन हेतु अति श्रेष्ठ उपाय है, इस तथ्य से सहमत होते हुए भी विद्वान इस पर एकमत नहीं है कि किसे कौन सा रत्न धारण करना चाहिए। किसी का मत है, केवल निर्बल ग्रह का रत्न धारण करें एवं किसी का मत है कि, सबल ग्रह का रत्न धारण करना चाहिए। कोई कहता है, लग्न का रत्न धारण करना उचित रहेगा तो कोई लग्नेश का रत्न धारण करने की अनुशंसा रखता है। कोई मासानुसार रत्न धारण का समर्थक है तो कोई भारतीय वितंडावाद से विरत होकर, पाश्चात्य विद्वानों की सम्मति का समर्थन कर रहा है।
कौनसा रत्न धारण करें ?
अनेकों ज्योतिषाचार्यों ने प्रमाणित किया है कि रत्न पहनने के लिए लग्न और प्रत्येक भाव में बैठे ग्रहों की स्थितियों के अनुसार, प्रत्येक स्तिथि से रत्न की सबलता एवं अनुकूलता का विचार करके ही पहनना चाहिए। मनीषी जनों ने अपनी सूक्ष्म विवेचना द्वारा प्रत्येक रत्न का, लग्न के साथ सम्बन्ध एवं परिणाम परखा है। तदोपरान्त उन्होंने निष्कर्ष दिया कि किस लग्न में, कौनसा ग्रह, किस भाव में रहता है एवं सम्पूर्ण कुण्डली को ध्यान में रखते हुए उक्त लग्न वाले जातक के लिए कौनसा रत्न अनुकूल एवं कल्याणकारी होगा।
विद्वानों के इस शोधपूर्ण निष्कर्ष के आधारानुसार हम संक्षेप में बारहों लग्नों के लिए धारणीय पुखराज रत्न का प्रत्येक लग्नानुसार विवरण दे रहे हैं।
पुखराज रत्न
बृहस्पति को देवताओं ने अपने श्रेष्ठतम गुरु होने का गौरव प्रदान किया है। नवग्रहों में भी बृहस्पति ग्रह को सम्मानपूर्ण पद का अधिकार प्राप्त है। बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधि रत्न होने का गौरव पुखराज को प्राप्त है। यूँ तो पुखराज रत्न कई रंगों में प्राप्त किया जाता है; किन्तु बृहस्पति ग्रह से अनुकूलता एवं लाभ प्राप्ति हेतु मुख्यतः पीले रंग का पुखराज रत्न धारण का मनीषियों ने निर्धारण किया है। पुखराज रत्न धारण उपरान्त बृहस्पति ग्रह के गुणों में वृद्धि होती हैं एवं दोषों का निवारण होता है।
लग्नक्रम अनुसार पुखराज रत्न धारण करने के सम्बन्ध में ज्योतिषाचार्यों ने जो मत प्रस्तुत किया है वह निम्नवत विवेचित है-
मेष लग्न :- मेष लग्न की कुण्डली में बृहस्पति ग्रह व्यय भाव का स्वामी होता है; किन्तु साथ ही वह भाग्येश भी होता है, अंततः दोष मुक्त होकर सम्बंधित व्यक्ति हेतु शुभ फलदायक सिद्ध होता है। इस आधारानुसार ज्योतिषाचार्यों ने अपना परामर्श देते हुए बतलाया कि यदि मेष लग्न का व्यक्ति पुखराज रत्न धारण करे तो वह बुद्धि, विवके, परीक्षा, धन, मान, प्रतिष्ठा, यश आदि के क्षेत्र में अप्रत्याक्षित लाभ प्राप्त कर सकता है।
वृष लग्न :- जिन व्यक्तियों की कुण्डली वृष लग्न की होती है उनको ज्योतिष अनुसार पुखराज रत्न धारण निषेध है।
मिथुन लग्न :- मिथुन लग्न की कुंडली में वृष लग्न की कुंडली से भी अधिक व प्रबल प्रतिकूलता स्थित होती है। मिथुन लग्न के व्यक्ति भी बृहस्पति ग्रह के प्रतिकूल होने के कारण भाग्यशाली नहीं कहे जा सकते; अतः पुखराज रत्न धारण निषेध है।
कर्क लग्न :- जिन व्यक्तियों की कुण्डली कर्क लग्न की होती है पुखराज रत्न धारण कर लाभान्वित हो सकते हैं। बृहस्पति की महादशा में यदि ऐसे व्यक्ति पुखराज रत्न के साथ मोती रत्न भी जड़वाकर अँगूठी धारण करें तो विशेष रूप से लाभ की प्राप्ति होगी।
सिंह लग्न :- जिन व्यक्तियों की कुण्डली सिंह लग्न की होती है उन्हें पुखराज रत्न धारण बहुत अनुकूल नहीं कहा जा सकता है, किन्तु यदि बृहस्पति ग्रह की महादशा में धारण किया जाए तो आंशिक शुभ प्रभाव अवश्य ही प्राप्त किया जा सकता है।
कन्या लग्न :- जिन व्यक्तियों की कुण्डली कन्या लग्न की है उन्हें पुखराज रत्न धारण ज्योतिषाचार्यों के मतानुसार निषेध है।
तुला लग्न :- जिन व्यक्तियों की कुण्डली तुला लग्न की है उन्हें पुखराज रत्न न धारण करने का परामर्श व चेतावनी ज्योतिषाचार्यों ने दी है। क्यूंकि तुला लग्न की कुण्डली में बृहस्पति ग्रह की स्थिति शुभ नहीं होती।
वृश्चिक लग्न :- वृश्चिक लग्न की कुण्डली में बृहस्पति ग्रह बहुत अनुकूल स्थिति में रहता है। अतः वृश्चिक लग्न वाले व्यक्ति पुखराज धारण कर अपने सौभाग्य की वृद्धि कर सकते हैं। इन्हें पुखराज के साथ मूँगा धारण करना भी विशेष लाभप्रद रहेगा।
धनु लग्न :- जिन व्यक्तियों की कुण्डली धनु लग्न की होती हैं ऐसे व्यक्तियों को पीला पुखराज रत्न बहुत लाभदायक एवं हितकारी सिद्ध होता है। बृहस्पति की महादशा में यह उन्हें विशेष रूप से सौभाग्यकारी सिद्ध होगा।
मकर लग्न :- मकर लग्न की कुण्डली में बृहस्पति ग्रह की स्थिति सम्बंधित व्यक्ति के प्रतिकूल रहती है; अतः उसे पुखराज रत्न धारण निषेध है।
कुम्भ लग्न :- जिन व्यक्तियों की कुण्डली कुम्भ लग्न की होती है उनका बृहस्पति ग्रह श्रेष्ठ स्थिति में नहीं होता, अतः ऐसे व्यक्तियों को पुखराज रत्न का धारण निषेध है। किन्तु कुछ ज्योतिषाचार्यों के मतानुसार ऐसे व्यक्ति बृहस्पति ग्रह की महादशा के समय पुखराज रत्न धारण करें तो उसकी परेशानियाँ कुछ हद तक काम हो जाती हैं।
मीन लग्न :- जिन व्यक्तियों की कुण्डली मीन लग्न की होती है ऐसे व्यक्तियों को पुखराज रत्न धारण करना अनुकूल रहता है। यदि पुखराज रत्न के साथ मूँगा रत्न भी धारण कर लिया जाए तो यह संयोग उनके लिए विशेष रूप से शुभ एवं सौभाग्यकारी सिद्ध होता है।
ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि पीले पुखराज रत्न के साथ हीरा या नीलम रत्न का धारण निषेध किया गया है।
पुखराज रत्न कई प्रकार एवं रूपों के होते हैं एवं यह रत्न मूल्यां रत्नों की श्रेणी में आता है। यही नहीं इस रत्न की खरीद फरोख्त में बेईमानी व छल कपट भी खूब प्रचलित है अतः रत्न विशेषज्ञ से परखवाकर ही इस रत्न को खरीदना चाहिए। दूषित एवं नकली रत्न लाभ के बदले हानि पहुँचाते हैं।
नोट : अपने जीवन से सम्बंधित जटिल एवं अनसुलझी समस्याओं का सटीक समाधान अथवा परामर्श ज्योतिषशास्त्र के हॉरोस्कोप फॉर्म के माध्यम से अपनी समस्या भेजकर अब आप घर बैठे ही ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं | अधिक जानकारी आप ज्योतिषशास्त्र के FAQ's पेज से प्राप्त कर सकते हैं |
© The content in this article consists copyright, please don't try to copy & paste it.