7 साल पूर्व
भगवान् विष्णु सम्पूर्ण सृष्टि के पालनहार हैं। विष्णु भगवान् सर्वसमर्थ हैं एवं इनकी की महिमा अवर्णनीय है। वैदिक व पौराणिक ग्रंथों के अनुसार अन्य समस्त देवता भगवान् विष्णु के ही रूप व अंश हैं। यूँ तो भगवान् विष्णु का पूजन अर्चन करने सम्बंधित अनेकों विधि विधान व मन्त्र उपलब्ध हैं, परन्तु सर्वश्रेष्ठ विधि विधान व मन्त्र वही है, जिसको कि साधक श्रद्धा व नियम अनुसार सिद्ध कर सके।
भगवान् विष्णु ने स्वयं कहा है- ‘अहिंसा, इन्द्रियनिग्रह, संयम, दया, क्षमा, मनोनियन्त्रण, ज्ञान एवं सत्य, इन आठ आचरण रूपी पुष्पों से मैं भक्त के वशीभूत हो जाता हूँ’ ।
भगवान् विष्णु का स्नेह व कृपा प्राप्ति हेतु कुछ बहुप्रचलित व बहुअनुभूत मन्त्र वैदिक व पौराणिक ग्रंथों से चुनकर यहाँ दिये जा रहे हैं। इन मन्त्रों का जप, विधि विधान पूर्वक सिद्ध कर लेने के पश्चात भगवान् विष्णु के लाखों भक्त लाभान्वित हुए हैं व हो रहे हैं। निम्नवत प्रस्तुत मन्त्रों को यदि सम्पूर्ण विधि विधान से जपकर सिद्ध कर लिया जाए तो असम्भव भी सम्भव हो जाता है। किन्तु यदि कोई साधक इन मन्त्र का विधि विधान के अनुसार जप नहीं कर सकता है, तो नित्य प्रातः स्नान के पश्चात् किसी शान्त, एकान्त, शुद्ध स्थान पर बैठकर निम्नवत प्रस्तुत किसी एक मन्त्र को अपनी सुविधा अनुसार चुनकर उस मन्त्र की 1, 3, 5, 7 जैसी सुविधा हो, माला जप लेनी चाहिए। भक्ति भाव से कोई भी जन जब चाहे, इनमें से किसी एक मन्त्र को चुनकर प्रभु का स्मरण कर सकता है। निश्चय ही उसे आत्मशान्ति एवं प्रभु की कृपा प्राप्त होगी। मन्त्रों का विधि विधान पूर्वक अनुष्ठान किया जाय एवं जपसंख्या 5 लाख का दशांश हवन घी एवं तिल से करे, तो साधक के लिए फिर कोई वस्तु अलभ्य नहीं रह जाती।
मन्त्र इस प्रकार हैं ::
♦ मन्त्र :- ओइम् नारायणाय नमः।
विधिपूर्वक 5 लाख जप करने से सिद्धि प्राप्त होती है।
♦ मन्त्र :- ओइम् विष्णवे नम्।
विधिपूर्वक 5 लाख जप करने से सिद्धि प्राप्त होती है।
♦ मन्त्र :- ओइम् विष्णवे पराज्यातये नमः।
11 लाख जप साधक को अलौकिक क्षमता प्रदान करता है।
♦ मन्त्र :- ओइम् परमात्मने नमः।
यह मन्त्र सात लाख की संख्या में जपकर सिद्ध हो जाता है।
♦ मन्त्र :- ओइम् अनन्ताय नमः।
6 लाख जप करने से यह मन्त्र प्रभावी हो जाता है।
♦ मन्त्र :- ओइम् गोविन्दाय नमः।
6 लाख की संख्या में जपने पर सिद्ध हो जाता है।
अनेक सन्त महात्माओं ने भी अनुभव किया है इन मन्त्रों के अतिरिक्त, यदि भगवान् विष्णु के सहस्त्र नामों का जप किया जाए तो नामजप से साधक को वही प्रभाव व उपलब्धि की प्राप्ति होती है, जो कि विधिवत् मन्त्रानुष्ठान करने से होती है।
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