7 साल पूर्व
शाबर मन्त्रों के आदि रचियता अथवा जनक भगवान् शिव ही हैं। प्राचीन ऋषि मुनि शाबर मन्त्रों के प्रयोग से आमजन के कष्ट निवारण किया करते थे। शिवजी द्वारा रचित शाबर मन्त्रों के पश्चात, उन मन्त्रों के आधार पर कुछ दूसरे शिवभक्त महर्षियों, सन्त-महात्माओं ने भी अलग अलग विचार व उद्द्श्योँ को लेकर अनेकों उसी प्रकार के ही मन्त्रों की रचना की। प्रभाव क्षमता में ये मन्त्र भगवान शिव द्वारा रचित मन्त्रों से कुछ ही कम प्रभाव देते हैं परन्तु हैं ये सब समान ही। शाबर मन्त्रों की विशिष्टता यह है कि इन मन्त्रों को कोई भी, कभी भी, कहीं भी जपकर सिद्ध कर सकता है। ये मन्त्र इतने सरल है व इनको सिद्ध करना भी इतना सरल है की कोई भी आमजन बड़ी आसानी से इन्हे सिद्ध कर लाभान्वित हो सकता है। शाबर मन्त्रों की जप साधना वैदिक मन्त्रों की अपेक्षा सरल है। अक्सर देखा जाता है कि छोटे बड़े साधु संत अथवा फकीर, इन मन्त्रों के प्रयोग से लोगों को चमत्कृत एवं उपकृत करते रहते हैं। शाबर मन्त्र प्रबल रूप से प्रभावी एवं अचूक है।
प्रायः हम देहातों में निरक्षर लोगों को भी चमत्कारिक झाड़ फूंक करते देखते हैं। वह सब इन्हीं शाबर मन्त्रों का प्रभाव ही है। दरिद्र, असभ्य कहे जाने वाले फकीर एवं दूसरी छोटी जातियों के लोग वस्तुतः किसी न किसी शाबर मन्त्र की सिद्धि प्राप्त हैं एवं उसका प्रयोग करके कभी कभी सभ्य, शिक्षित वर्ग को अचंभित कर देते हैं।
शाबर मन्त्र सहस्रों शताब्दियों से अनगिनत व्यक्तियों द्वारा अनुभूत किये गए हैं। इनकी साधना आमजन को वहीं सम्बल प्रदान करती है, जो एक देवता की साधना से प्राप्त किया जा सकता है। जीवन की किसी भी समस्या का, शाबर मन्त्र के जप से निश्चित एवं तीव्र समाधान किया जा सकता है।
यहां हम नेत्र कष्ट नाश हेतु शाबर मंत्र प्रस्तुत कर रहे है :
मन्त्र :- ओइम् नमो सलस समुद्र सोल समुद्र में पंखणी क झरै,
अमकड़ीया की आंख संचरै।
मेरी गुरुभक्ति की शक्ति, फुरोमन्त्र, ईश्वरो वाचा।
प्रयोग :- थोड़ी सी राख एवं डली वाले नमक के सात टुकड़े अपनी मुट्ठी मैं लें। उपर्युक्त मन्त्र बारह बार पढ़ते हुए, रोगी की आंखों से स्पर्श कराकर आग में डाल दें। इससे दुखती आँख की पीड़ा शान्त हो जाती है।
मन्त्र :- शान्ति कुन्थु अरहो अरिट्ठेनेमि जिनंद पास होईं।
समरं ताणं निच्चं चक्खु रोग पणासई।
प्रयोग :- इस मन्त्र की एक माला अर्थात 108 जप कर आंख के रोगी को भभूत से झाड़े तो किसी भी प्रकार का नेत्र कष्ट हो, दूर हो जाता है।
मन्त्र :- ओइम् नमो वन में व्याई वानरी जहां-जहां हनुमान,
अंखियां पीर कषवारो गेहिया थने लाई पारिउ जाय भस्मन्तन,
फुरोमन्त्र ईश्वरोवाचा।
प्रयोग :- इस मन्त्र का उच्चारण करते हुए, रोगी को सात बार झाड़ने से आंखों की पीड़ा तथा अन्य कष्ट दूर हो जाते हैं।
मन्त्र :- ओइम् नमः सूर्याय एक चक्र रथारूढ़ाय, सप्तांशु वाहनाय, चक्रहस्ताय
ओइम् क्रां क्रीं क्रूं क्रै क्रौं क्रां कलशहस्ताय आदित्याय नमः।
प्रयोग :- किसी शुभ मुहूर्त में इस मन्त्र की एक सौ आठ माला जपकर सिद्ध कर लेना चाहिए। बाद में जब भी आवश्यकता पड़े, नीम की टहनी से 21 बार इसे पढ़ते हुए, रोगी को झाड़ना चाहिए। इसके प्रभाव से अनेक प्रकार के नेत्र सम्बंधित रोग नष्ट हो जाते हैं।
मन्त्र :- ओइम् नमो श्री राम की धनु ही, लक्ष्मण का वाण।
आंख दर्द करे तो लक्ष्मण कुमार की आन।
प्रयोग :- इस मन्त्र को पढ़ते हुए, 21 बार नीम की टहनी से रोगी को झाड़ना चाहिए। लगातार तीन दिनों तक ऐसा करने से आंख के रोग दूर हो जाते हैं।
मन्त्र :- ओइम् झलमल जहर भरी तलाई,
अस्ताचल पर्वत से आयी,
जहां बैठा हनुमन्ता जायी, फूटै न पाकै,
न करै पीड़ा, जाती हनुमन्त हरै पीड़ा,
मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति, फुरोमन्त्र ईश्वरोवाचा,
सत्यनाम आदेश गुरु कौ।
प्रयोग :- इस मन्त्र को पढ़ते हुए, नीम की टहनी से 11 बार झाड़ने पर आंखों की पीड़ा मिट जाती है।
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